Sunday, 31 May 2020

दुआ मे कितने कण होते है...हिसाब इस का तो खुद खुदा भी कर नहीं पाया..हम ने उसी खुदा को

हाज़िर-नाज़िर कर के,अपनी तमाम दुआओं का खज़ाना इस संसार के लिए आज खोल दिया..हर वो

सांस सलामत रहे,जो इस धरा पे आई है...हर शख्स ज़िंदा रहे जो दुनियाँ मे आया है...सब को सब की

ख़ुशी मिले.....इस सच्ची दुआ के साथ हम ने ,दिन को आज शुरू किया...कुदरत तुम्ही ने सिखाया है

कि दुआ की चाल बहुत तेज़ होती है..बस इस बार हमारी दुआओं की पुकार बहुत जल्दी सुन लेना...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...