Wednesday 6 May 2020

बेहद खूबसूरत यह सुबह आई है..ना सही अब इंसानो के लिए,परिंदो को यह साफ़ सुबह दिखाने आई

है..खुल के जी लो,हम ने इन परिंदो से कहा..इंसानी ताकत कुछ भी नहीं,बस खौफ करना परवरदिगार

से जो तेरी मूक प्रार्थना का कायल है..बहुत पाक-साफ़ हो तुम जो खुले साफ़ आसमां के अब मालिक हो...

कैद है अब पिंजरे मे इंसा,जो कभी तुम को कैद किया करते थे..खूब-खूब उड़ना अब जी भर के कि यह

इंसा अब तरस के काबिल भी नहीं..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...