फिर देखा आज मासूम परिंदो को,आसमां की साफ़ खुली हवा मे...खुश हुए यह देख कर,बेखौफ जीना
कितना अच्छा होता है..यू लगा सबक दे रहे है सभी इंसानो को,क्यों बिगाड़ दिया हवा को खुद के
कारनामों से..साफ़ माहौल रखा होता तो यू कैद ना होते,गंदगी ना फैलाते तो हवा भी मैली ना होती..
हम परिंदो को मार कर ना खाते तो ईश्वर के कहर से बच जाते..झुक जा अब भी परवरदिगार के कदमो
मे कि ज़िंदगी के मेले बार-बार लगा भी नहीं करते...
कितना अच्छा होता है..यू लगा सबक दे रहे है सभी इंसानो को,क्यों बिगाड़ दिया हवा को खुद के
कारनामों से..साफ़ माहौल रखा होता तो यू कैद ना होते,गंदगी ना फैलाते तो हवा भी मैली ना होती..
हम परिंदो को मार कर ना खाते तो ईश्वर के कहर से बच जाते..झुक जा अब भी परवरदिगार के कदमो
मे कि ज़िंदगी के मेले बार-बार लगा भी नहीं करते...