Sunday 17 May 2020

''सरगोशियां.इक प्रेम ग्रन्थ'' जो हम ने रचा..जिस को हम ने लिखा..हम ने ही राधा कृष्णा के प्रेम को

इस ग्रन्थ की रूह मे ढाला..सीता और राम को मान आदर्श इस ग्रन्थ मे उन का त्याग लिखा..वो गौरी

थी या पार्वती,पर थी वो शिव की अर्धाग्नि..जीना भी इस ग्रन्थ के साथ,मरना भी इसी ग्रन्थ के साथ...सांस

आखिरी तक लिखे गे हम शुद्ध प्रेम की शुद्ध परिभाषा...सुन्दर प्रेम की अति शुद्ध परिभाषा बहुतों को 

समझ तब ही आती है...जब प्रेम की बगिया मुरझा जाती है..फिर भी लिखते रहे गे प्रेम को मान कर पूजा

,इस ग्रन्थ को बनाना है प्रेम की चरम-सीमा की सुन्दर रेखा..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...