सुन रहे है,आगे राहें बहुत कठिन है..साँसों के लिए वक़्त की मोहलत महंगी है..कब तक जीना है,तय
नहीं हो सकता..लब हमारे मुस्कुरा दिए यह सोच कर..इंसा के हाथों मे कब क्या रहा है जो अब तय
कर पाए गा..जब अपनी मर्ज़ी से अब तक कुछ नहीं कर सके तो अब साँसों को कैसे तय कर पाए गे..
उस की मर्ज़ी से सब होता आया है,वो चाहे जो देता है वो चाहे तो छीन भी लेता है..तो तय हम क्या कर
सकते है..जो दिन है पास,बस उस की दुआ का ही करिश्मा है..कल शायद सांस हो या ना हो,यह भी
उस ने तय कर रखा है...
नहीं हो सकता..लब हमारे मुस्कुरा दिए यह सोच कर..इंसा के हाथों मे कब क्या रहा है जो अब तय
कर पाए गा..जब अपनी मर्ज़ी से अब तक कुछ नहीं कर सके तो अब साँसों को कैसे तय कर पाए गे..
उस की मर्ज़ी से सब होता आया है,वो चाहे जो देता है वो चाहे तो छीन भी लेता है..तो तय हम क्या कर
सकते है..जो दिन है पास,बस उस की दुआ का ही करिश्मा है..कल शायद सांस हो या ना हो,यह भी
उस ने तय कर रखा है...