Tuesday 19 May 2020

''सरगोशियां''  जब जब शब्द पन्नो पे उड़ेलती है,दुनियाँ को प्रेम के हर रंग से रूबरू करवाती है..कभी प्रेम की अतिसीमा,कभी प्रेम की अवहेलना,कभी प्रेम का दर्द-विरह..आंसुओ का सैलाब,ख़ुशी से महकती साँसे,कभी प्रेम को पा लेने का सुख तो कभी उसी को खो देने का गम..रंगो के साथ चलती तो कभी रंगो को औरों के जीवन मे भरती मेरी ''सरगोशियां''.....जीवन देती तो कभी साँसों के खोने का दर्द समझाती....दोस्तों...''सरगोशियां'' किसी की भी ज़िंदगी के पन्नो से जुड़ी कलम नहीं है..इस का किसी भी इंसान,व्यक्ति,मनुष्य से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं..यह कलम जब जब लिखती है,उस को खुद भी पता नहीं होता कि वो आज इस वक़्त क्या लिख डाले गी...''सरगोशियां'' एक ऐसे सफर की तरफ चल रही है,जिस का मकसद आसमान को छूना है बस......कोई भी इस के लफ्ज़ो को अपनी ज़िंदगी से ना जोड़े..मै एक शायरा हू,एक कलाकार..जो कलम के जादू मे इस कदर डूब जाता है कि उस को सिर्फ और सिर्फ अपनी ''सरगोशियां'' का सफर याद रहता है.. शुभ रात्रि दोस्तों.....''शायरा''    

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...