Monday 18 May 2020

वफ़ा और ईमानदारी की मिसाल ढूढ़ते रहे इंसानो मे..प्यार और पाक मुहब्बत का सैलाब,जो हो इतना

गहरा कि डूबने के बाद निकलना नामुमकिन हो जाए..टूट के चाहना और किसी एक के ही रहना..यह

जज्बात किताबो मे ही पढ़ते रहे..जी घबराया तो फूलों से मिलने बाग़ मे चले आए..उन की मुहब्बत की

शिद्दत देखी तो हैरान हो गए..वो जिस पे खिले,संग उसी के आखिरी लम्हे तक रहे..गज़ब तो गज़ब यह,

कि दम निकलने का समां आया तो उसी संग ही मुरझा गए..देख ऐसा प्यार,नैना हमारे भीग-भीग गए..

इंसानो की बसती क्यों ऐसी नहीं हो सकती और एक बार फिर फूलों की मुहब्बत पे कुर्बान हो गए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...