Friday 29 May 2020

इन पंखो का क्या करे गे हम,जब किसी को उड़ना ही ना सिखा पाए गे...गर इंसा को सही राह पे ना ला

पाए तो यह पंख किस काम आए गे...धरोधर मे पाए है यह पंख,कुछ नेक किए बिना दुनियाँ से रुखसत

हो गए तो बाबा को क्या जवाब दे पाए गे...तेरी दी यह रूह-देह अमानत है माँ,तेरे पास आने से पहले

यह सर उठा कर ही तुझ से मिलने आए गे..तुझे याद करने की कोई वजह तो नहीं माँ,मेरे पास..इस देह

का मोल सिर्फ तुझ से है माँ...वो अंगुली आज भी तुम्हारे हाथ मे है बाबा,जो छूट ना पाए गी तब तक..

जब तक तेरी लाडो तुझ सी ना बन जाये गी ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...