Friday 1 May 2020

इंसानो की  धरती पे बहुत शोर मचा,हमारी हकूमत है तो मर्ज़ी भी हमारी होगी..हकूमत हमारी है तो वज़ूद
भी हमारा ही होगा....भगवान् ने इंतज़ार किया बहुत देर इन इंसानो के सुधरने का...आखिर भगवान् ने कर के ही दिखाया..''.यह दुनियाँ तो है मेरी..तेरा वज़ूद कहाँ तेरा...एक माटी का टुकड़ा और गरूर इतना..तुझे दिया जीवन मैंने क्या सोच कर और तूने क्या जिया इस को क्या सोच कर....अरे बन्दे,यहाँ चलती है मर्ज़ी सारी मेरी..तू साँसे भी अपनी मर्ज़ी से ले नहीं सकता,ना अपनी मर्ज़ी से इन साँसों को विदा कर सकता है..फिर भला बता मुझे,किस की दुनियाँ और किस की मर्ज़ी''  ........दोस्तों,खुद पे किसी भी बात का अभिमान मत करे...यह रूप,यह शरीर,यह दौलत,यह प्यार के धागे,यह नफरत की खाई,लालच और भी इतना कुछ.....सब नश्वर है...किसी का दिल बिलकुल ना दुखाए..साँसे कब कहाँ रूठ जाए..मलाल ही रह जाए गा कि काश हम ने ऐसा गलत ना किया होता.........शुभ दिन...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...