बादलों की गड़गड़ाहट मे वो बिजली का कौंधना...कौंध के किसी के आशियाने पे पसर जाना..उस
कौंध से उस आशियाने का ख़ाक हो जाना..कसूर क्या था उस आशियाने का,कसूर क्या था उस का
जहां मे आने का...अंदर बहुत कुछ था ऐसा,जो बर्बाद हो गया..बिजली की कौंध कर गई तबाह उन
के वज़ूद को..ग़ुरबत से बुरा और क्या होगा..दर-दर भटकने के सिवा कौन अब इन का होगा...आहों
का असर दूर तक जाए गा..रुखसत यह तो हो जाए गे इस जहान से,पर क्या आहों का असर कम हो
पाए गा....
कौंध से उस आशियाने का ख़ाक हो जाना..कसूर क्या था उस आशियाने का,कसूर क्या था उस का
जहां मे आने का...अंदर बहुत कुछ था ऐसा,जो बर्बाद हो गया..बिजली की कौंध कर गई तबाह उन
के वज़ूद को..ग़ुरबत से बुरा और क्या होगा..दर-दर भटकने के सिवा कौन अब इन का होगा...आहों
का असर दूर तक जाए गा..रुखसत यह तो हो जाए गे इस जहान से,पर क्या आहों का असर कम हो
पाए गा....