Monday 11 May 2020

मुस्कुरा रहे है लब और आंखे है आंसू से भरी..यह इबादत की सुबह है या अपनी कोई कमी..समझे

क्या कि मामूली इंसान है,हज़ारो खामियों से भरे..कुछ अच्छा हुआ तो खुश हो गए,कुछ बुरा हुआ तो

जी भर रो लिए...पर इबादत को भूल नहीं पाए,संस्कारो की महिमा ने इस इबादत को भुलाने ही नहीं

दिया...दिन की शुरुआत अच्छी है बहुत,साँझ क्या लाए गी पता नहीं..जो पल है उसी मे जीना है..

शायद इसलिए लब है जो मुस्कुरा रहे है कि शुरआत  दिन की बेहद खूबसूरत है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...