Friday 15 May 2020

शब्द,अक्षर या हो लफ्ज़...सब का वज़ूद खास ही तो है..हम जो कहे,हम जो लिखे..उस का असर दूजों

पे है...वो शब्द,जिस ने दिल-रूह को रुला दिया..वो लफ्ज़,जिस ने रिश्तों को तार-तार कर दिया..वो

अक्षर जो तूने लिखे उस ने अंदर तक मन किसी का आहत किया..यह शब्द ही तो रहे कि हम कितनो

के दिलों मे उतर गए..यह लफ्ज़ ही रहे जो लिखते-लिखते सभी की रूह से जुड़े..अक्षर,जो भा गए किसी

नदिया की धारा की तरह..हम ने उठाया इन को,किसी बादशाह की सल्तनत की तरह..राज़ दिलों पे

करते रहे गे,खुद की इबादत की तरह..बस तागीद सब से यही,शब्दों की ताकत अक्सर दिलों को जोड़

देती भी है और कही तोड़ भी देती है..सोच कर कलम उठाना,लफ्ज़ जो निकल जाते है कलम से,लफ्ज़

जो निकल जाते है जुबां से,वो वापिस लौटा नहीं करते..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...