यह रात बहुत मन्नत वाली है...ना इस मे कोई सवाली है ना कोई जवाबी है..वो खुदा भी देख रहा है बहुत
बारीकी से,किस ने मुझे सज़दा किया इतनी ख़ामोशी से..आंख का सिर्फ एक आंसू,रख दिया उस की
थाली मे और ख़ामोशी से सोने जा रहे है अपने घर की बंद दीवारी मे..क्या मांगे कि उस को इबादत मे
अपना एक आंसू दे दिया..अब जानना उस को है कि हम ने उस से चुपके से क्या कह दिया..रज़ा उस
की क्या होगी,नहीं जानते..हम ने तो उस को खुदा कह कर पुकारा और सर झुका दिया...
बारीकी से,किस ने मुझे सज़दा किया इतनी ख़ामोशी से..आंख का सिर्फ एक आंसू,रख दिया उस की
थाली मे और ख़ामोशी से सोने जा रहे है अपने घर की बंद दीवारी मे..क्या मांगे कि उस को इबादत मे
अपना एक आंसू दे दिया..अब जानना उस को है कि हम ने उस से चुपके से क्या कह दिया..रज़ा उस
की क्या होगी,नहीं जानते..हम ने तो उस को खुदा कह कर पुकारा और सर झुका दिया...