Monday 18 May 2020

हार-जीत किस के लिए..सुबह की बेला मे कदम उठे सिर्फ, सभी की सलामती के लिए..साँसे सब की

चलती रहे,खुशियों के द्वार सब के लिए खुलते रहे..उदास हुए तो याद आया,माँ कहा करती थी..ज़िंदगी

टूट जाने का नाम नहीं..बाबा जो हिम्मत का पाठ सिखाते रहे..खुद की ख़ुशी से जयदा दूसरों का मान

रखते रहे..यह वक़्त भी शायद कुछ सीख देने ही आया है..दूरियां भी शायद फिर और पास आने के लिए

ही आई होगी..विश्वास के धागे कहां टूट सकते है..इसलिए तो परवरदिगार दुःख के बाद ही सुख दिया

करता है...वक़्त यह भी निकल जाए गा.........................................

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...