Friday 1 May 2020

अचानक से क्यों बरस गया मौसम,शायद आसमां से किसी के सिसकने की आवाज़ आई है...देखा जो

बाहर जा कर,यह तो सिलसिलेवाज़ बरसने की नौबत आई है...देख रहे है नज़ारा इस मौसम का,क्या

इस ने पूरी रात बरसने की कसम खाई है...दहलीज़ पे गिरी कुछ बूंदे बारिश की,लगा जैसे क़यामत की

रात आई है..खुदा खैर करे,आज किस की साँसों पे इस मौसम की कहर आई है..एहसास हुआ खुद

को,यह जो छलक आए बरबस आंसू हमारी आँखों से,कहीं हमारी ही साँसों के निकलने की रज़ा खुदा

से तो नहीं आई है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...