बेशक फैले है हर तरफ मौत के मेले,किस के लिए बने है अब यह मौत के मेले..दहशत भरा माहौल है,
इंसान ही इंसान से दूर है..क्या पता अब किस के पास बची है कितनी साँसे,और कौन जंग जीते गा हँसते
हँसते..कर्म तो अब ही सामने आए गे,दौलत के भरे ख़ज़ाने कुछ काम ना आए गे..दौलत का सिर्फ एक ही
काम है,रोटी कपडा और मकान..कीमत चुकाने के लिए इस की जरुरत है..बात करे जो साँसों की,बात
करे जो जहान मे फिर से घूम आने की..यह दौलत अब यहाँ भी अपना कोई वज़ूद नहीं रखती..दौलत
बहुत कुछ है मगर खुदा नहीं हो सकती...
इंसान ही इंसान से दूर है..क्या पता अब किस के पास बची है कितनी साँसे,और कौन जंग जीते गा हँसते
हँसते..कर्म तो अब ही सामने आए गे,दौलत के भरे ख़ज़ाने कुछ काम ना आए गे..दौलत का सिर्फ एक ही
काम है,रोटी कपडा और मकान..कीमत चुकाने के लिए इस की जरुरत है..बात करे जो साँसों की,बात
करे जो जहान मे फिर से घूम आने की..यह दौलत अब यहाँ भी अपना कोई वज़ूद नहीं रखती..दौलत
बहुत कुछ है मगर खुदा नहीं हो सकती...