Saturday, 16 May 2020

हम कौन है..कहां से आए है..किस मकसद से इस ज़िंदगी की साँसे ले पाए है...जानो गे तो खुद को

माफ़ कभी ना कर पाओ गे...जिस के एक आंसू के गिरने से पहले,हज़ारो मददगार दौड़े चले आते है..

जिस की हर बात कहने से पहले,फरिश्ते भी  कोई सवाल ना उठाया करते है..दौलत-ऐशो-आराम को

दूर रख के खुद से,दूसरों के दर्द सुलझाया करते है...सवाल हज़ारो है तो जवाब भी हज़ारो होंगे..हर बात

हर मुश्किलात समझना जरुरी तो नहीं..ज़िंदगी जीने की कोई उम्मीद नहीं होती,यह उम्मीद हम खुद

ही बनाया करते है..बुझते दियो को रोशन करने के लिए,अक्सर अपने आंसू और दुआए दियो को दे

दिया करते है...ज़मीर अपने की सुनते है,किसी और के ज़मीर को सकून देने के लिए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...