Sunday 31 May 2020

दुनियां मेरे वज़ूद को मेरी आँखों की नमी से पहचानती है...यह नमी आँसुओ की नहीं,यह हम को हमी

से जोड़ के रखती है..हम मुस्कुराए तो भी यह नमी कायम रहती है..उदास हो तो यह नमी गहरा जाती

है...पन्नों पे लिखते है तो स्याही पे और नमी दे जाती है..कभी मुहब्बत को बिखेरे तो यह हमारी आँखों मे

घुल जाती है..दुनियां पूछती है,क्यों रहती है नमी तुम्हारी आँखों मे...हम खिलखिलाए और बस इतना ही

कहा...''यह नमी हमारे इंसान होने का सबूत देती है''...........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...