Saturday 30 May 2020

हज़ारो मे नहीं,लाखो मे नहीं..करोड़ो मे भी नहीं..वो तो खरबों मे ख़ास एक मसीहा था...घनेरे अंधेरो

और पथरीली राहो मे वो राह दिखाता इक जुगनू था..हम चलते रहे पीछे-पीछे उस के और वो साफ़

रास्ता दिखा हम को, ना जाने कहां गायब हो गया..एक बून्द अश्क निकला आंख से हमारे और वो झट

से हमारी ही आँखों मे रौशनी बन कैद हो गया...आंखे बंद रहे या खुली,हमारी इन आँखों का विश्वास है

वो..कौन कहता है,मसीहा इस दुनिया मे होते नहीं..हम ने जो देखा वो खवाब तो कतई ना था...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...