Friday 29 May 2020

बहुत दूर तक यह नज़र जहां जा रही है आज ...सुनहरी रौशनी दिखती है वहां...काश..ऐसा हो और

फिर से यह जहां रौशनी से सुनहरा हो जाए...फिर खिले फूल बागों मे और नन्ही कलियाँ जी भर भर

के मुस्कुराए..कोई खौफ ना हो हवाओं मे,हर इंसा फिर से अपना जीवन जिए..कदम जो आज चलने

को मजबूर है गर्म रेत और झुलसती गर्मी मे..वो भीगे बारिश की साफ़ फुहारों मे..देखे फिर अपनों को

ज़िंदगी की लय पे झूमते हुए..जो बैगाने है हमारे लिए,वो भी खिल जाए ज़िंदगी की सौगातें पाते हुए....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...