बहुत दूर तक यह नज़र जहां जा रही है आज ...सुनहरी रौशनी दिखती है वहां...काश..ऐसा हो और
फिर से यह जहां रौशनी से सुनहरा हो जाए...फिर खिले फूल बागों मे और नन्ही कलियाँ जी भर भर
के मुस्कुराए..कोई खौफ ना हो हवाओं मे,हर इंसा फिर से अपना जीवन जिए..कदम जो आज चलने
को मजबूर है गर्म रेत और झुलसती गर्मी मे..वो भीगे बारिश की साफ़ फुहारों मे..देखे फिर अपनों को
ज़िंदगी की लय पे झूमते हुए..जो बैगाने है हमारे लिए,वो भी खिल जाए ज़िंदगी की सौगातें पाते हुए....
फिर से यह जहां रौशनी से सुनहरा हो जाए...फिर खिले फूल बागों मे और नन्ही कलियाँ जी भर भर
के मुस्कुराए..कोई खौफ ना हो हवाओं मे,हर इंसा फिर से अपना जीवन जिए..कदम जो आज चलने
को मजबूर है गर्म रेत और झुलसती गर्मी मे..वो भीगे बारिश की साफ़ फुहारों मे..देखे फिर अपनों को
ज़िंदगी की लय पे झूमते हुए..जो बैगाने है हमारे लिए,वो भी खिल जाए ज़िंदगी की सौगातें पाते हुए....