आज कल हर दिन यह सोच कर जीते है...आज कल यह सोच कर खुश रहते है..आज कल हर काम
शिद्दत से करते है..कल क्या हमारा होगा ? या फिर यह जिस्म भी मुर्दा लाश होगा..शायद कोई रो के
विदा भी ना कर पाए गा..एक महकते जिस्म को कोई अनजान जला कर राख़ कर दे गा..खुद को
सजाते रहे,कभी संवारते रहे चेहरे को..पलों मे तब्दील हो जाए गा माटी मे,माटी भी ऐसी जिस को हाथ
लगाने से सब डर जाए गे..जी हां,यही हकीकत है..गुफ्तगू कब तक अपनों और दोस्तों से कर पाए गे..
अब इस सच को लिखना कोई जुर्म नहीं..कल मेरी माटी तो कुछ ना लिख पाए गी..इसलिए रोज़ शिद्दत
से जीते है..''सरगोशियां'' ज़िंदा रहे,इस की इबादत को हर सांस के साथ करते है..
शिद्दत से करते है..कल क्या हमारा होगा ? या फिर यह जिस्म भी मुर्दा लाश होगा..शायद कोई रो के
विदा भी ना कर पाए गा..एक महकते जिस्म को कोई अनजान जला कर राख़ कर दे गा..खुद को
सजाते रहे,कभी संवारते रहे चेहरे को..पलों मे तब्दील हो जाए गा माटी मे,माटी भी ऐसी जिस को हाथ
लगाने से सब डर जाए गे..जी हां,यही हकीकत है..गुफ्तगू कब तक अपनों और दोस्तों से कर पाए गे..
अब इस सच को लिखना कोई जुर्म नहीं..कल मेरी माटी तो कुछ ना लिख पाए गी..इसलिए रोज़ शिद्दत
से जीते है..''सरगोशियां'' ज़िंदा रहे,इस की इबादत को हर सांस के साथ करते है..