आ, आज करीब इतना कि तेरे नाज़ उठाए सारे..नहला दे तुझे वफ़ा की बारिश मे इतना कि अरमान तेरे
सारे पूरे हो जाए...कल का क्या पता कि तू हम को ही दगा दे जाए..पर इतिहास हम ऐसा रच जाए कि
तू चाह के भी हम को भूल ना पाए...मुहब्बत की मूरत ऐसी भी होती है,यह तुझे सदियों तक याद रहे..
फिर किसी और का कभी हो ही ना पाए ऐसी तड़प तुझे दे जाए...पायल की छन छन तेरे कानो मे गूंजे
इतनी कि तू ज़िंदगी का सुर-संगम तक भूल जाए..क्या पता आज के बाद, कोई कल ही ना हो और तू
हमी को दगा दे जाए...
सारे पूरे हो जाए...कल का क्या पता कि तू हम को ही दगा दे जाए..पर इतिहास हम ऐसा रच जाए कि
तू चाह के भी हम को भूल ना पाए...मुहब्बत की मूरत ऐसी भी होती है,यह तुझे सदियों तक याद रहे..
फिर किसी और का कभी हो ही ना पाए ऐसी तड़प तुझे दे जाए...पायल की छन छन तेरे कानो मे गूंजे
इतनी कि तू ज़िंदगी का सुर-संगम तक भूल जाए..क्या पता आज के बाद, कोई कल ही ना हो और तू
हमी को दगा दे जाए...