दोस्तों..ज़िंदगी की कीमत का एहसास क्यों इन दिनों जयदा होने लगा है..यह तो बरसो पुराना सच है,जितनी साँसे लिखवा कर लाए है,और झोली मे जितनी खुशियाँ-दुःख लिखवा कर लाए है..वो तय है..इंसान कभी भी खुश रहना नहीं जानता...कहते है,वक़्त ही बहुत कुछ सिखा देता है..कभी हम को बहुत खुशियाँ देता है तो अगले पल छीन भी लेता है..जब तक हम कुछ समझ पाए,दर्द-दुःख की चादर हमारे ऊपर होती है..दोस्तों,यह सब तय है कि किस को कब सुख और कब दुःख मिलना है..कभी ज़िंदगी के सच हम १० साल की उम्र मे जान जाते है,कभी यह सच कुछ लम्बे वक़्त बाद समझ पाते है..हर तकलीफ-दुःख बहुत कुछ सिखाता है..दोस्तों,दुःख जब-जब दस्तक दे तो उस का स्वागत करे..जी....ठीक पढ़ा..खुल कर रोए..बहुत खुल कर रोए और उस दुःख उस तकलीफ को भूले नहीं..उस को ही अपनी ताकत बनाए..ताकत मतलब,जब जब आप किसी को दुखी देखे तो उस की मदद करे..किसी के आंसू ना बने,किसी की ख़ुशी बने..जिस ने आप को बहुत दुःख-तकलीफ भी दिया हो,उस को भी दुआ दे..उस की नासमझी के लिए परमात्मा से प्राथना ही करे..मन-रूह को एकदम साफ़ रखे...ख़ुशी और दुःख को जीवन का एक खूबसूरत हिस्सा मान कर चले...वक़्त कोई भी रुकता नहीं..बस हर वक़्त कुछ ना कुछ सीख दे जाता है..मजबूत बने..जब तक जीवन है,जिए..जो मिला उस के लिए भगवान् को शुक्रिया करे,जो छिन गया या नहीं मिला,उस का मलाल ना करे..ज़िंदगी सब को सब कुछ तो नहीं देती..बस एक नेक ईमानदार सच्चे इंसान बने..आप की ईमानदारी आप को ईश्वर के बेहद बेहद करीब ले जाती है..इन शब्दों को सहेज कर रखे..मेरे पिता के द्वारा समझाए गए शब्द है यह...शुभ दिन...
Saturday, 2 May 2020
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
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मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...
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आहटे कभी झूट बोला नहीं करती,वो तो अक्सर रूह को आवाज़ दिया करती है...मन्नतो की गली से निकल कर,हकीकत को इक नया नाम दिया करती है...बरकत देती ...