यह कौन सी दुनियाँ है..यह कौन सा युग है..जहा ना प्यार है ना रिश्तों का सम्मान है..एक बोतल के लिए
आज का इंसान खुद से उलझा,किस सदी का मानव अभिमान है..क्या एक बोतल गिरा देती है इंसान को.
क्या एक बोतल रिश्तों को इस कदर भुला देती है..नाली मे गिरा यह कौन सा इंसान है..खुद के ज़मीर
से पलटा यह कौन सा अभिमान है...फर्ज़ो को भुला दिया,किसी का ताउम्र का प्यार ही भुला दिया..दावे
ना कर कि तू इंसान भी नहीं..एक बोतल जब तेरा अस्तित्व भुला सकती है तो उन रिश्तों के क्या मायने,
जो बरसो से साथ चले और एक बोतल ने चूरचूर कर दिए..किस सदी का इंसान है तू..
आज का इंसान खुद से उलझा,किस सदी का मानव अभिमान है..क्या एक बोतल गिरा देती है इंसान को.
क्या एक बोतल रिश्तों को इस कदर भुला देती है..नाली मे गिरा यह कौन सा इंसान है..खुद के ज़मीर
से पलटा यह कौन सा अभिमान है...फर्ज़ो को भुला दिया,किसी का ताउम्र का प्यार ही भुला दिया..दावे
ना कर कि तू इंसान भी नहीं..एक बोतल जब तेरा अस्तित्व भुला सकती है तो उन रिश्तों के क्या मायने,
जो बरसो से साथ चले और एक बोतल ने चूरचूर कर दिए..किस सदी का इंसान है तू..