ज़िंदगी फिर एक बार जीने के लिए बाहर दरीचों मे निकली है..हवाओं मे कहर आज भी बाकी है..फ़िज़ा
तो आज भी खौफ के दायरे मे है...साँसे लेने के लिए,यही ज़िंदगी फिर इम्तिहान देने हौसला लिए बाहर
निकली है...छोटी सी गुजारिश सभी से ...इम्तिहान तो ज़िंदगी बार-बार लेती रहती है...बस इस बार इस
का तरीका बहुत जुदा है..खुद को ज़िंदा रखने के लिए,खुद की साँसों को आगे ले जाने के लिए..इम्तिहान
को सलीके से पास करता जा...जीतना तो हमी को है,हारना तो ज़िंदगी के इस कहर को है...खुद की
हिफाज़त कर,डर कर तो बिलकुल नहीं...ज़िंदगी हमेशा से हमारी है,बिंदास फिर जीना है..बस थोड़ा
सलीके से अब इम्तिहान को पास कर ले...
तो आज भी खौफ के दायरे मे है...साँसे लेने के लिए,यही ज़िंदगी फिर इम्तिहान देने हौसला लिए बाहर
निकली है...छोटी सी गुजारिश सभी से ...इम्तिहान तो ज़िंदगी बार-बार लेती रहती है...बस इस बार इस
का तरीका बहुत जुदा है..खुद को ज़िंदा रखने के लिए,खुद की साँसों को आगे ले जाने के लिए..इम्तिहान
को सलीके से पास करता जा...जीतना तो हमी को है,हारना तो ज़िंदगी के इस कहर को है...खुद की
हिफाज़त कर,डर कर तो बिलकुल नहीं...ज़िंदगी हमेशा से हमारी है,बिंदास फिर जीना है..बस थोड़ा
सलीके से अब इम्तिहान को पास कर ले...