Sunday 31 May 2020

ज़िंदगी फिर एक बार जीने के लिए बाहर दरीचों मे निकली है..हवाओं मे कहर आज भी बाकी है..फ़िज़ा

तो आज भी खौफ के दायरे मे है...साँसे लेने के लिए,यही ज़िंदगी फिर इम्तिहान देने हौसला लिए बाहर

निकली है...छोटी सी गुजारिश सभी से ...इम्तिहान तो ज़िंदगी बार-बार लेती रहती है...बस इस बार इस

का तरीका बहुत जुदा है..खुद को ज़िंदा रखने के लिए,खुद की साँसों को आगे ले जाने के लिए..इम्तिहान

को सलीके से पास करता जा...जीतना तो हमी को है,हारना तो ज़िंदगी के इस कहर को है...खुद की

हिफाज़त कर,डर कर तो बिलकुल नहीं...ज़िंदगी हमेशा से हमारी है,बिंदास फिर जीना है..बस थोड़ा

सलीके से अब इम्तिहान को पास कर ले...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...