Saturday 30 May 2020

ज़िंदगी चार दिन की ही तो होती है...कब से यही सुनते आए है..यह चार दिन कब कहां किस की किस्मत

पलट कर रख दे,कौन जाने...यह चार दिन,जहा लोग बदलने की कसमें खाते है..यह चार दिन,जब लोग

वादों को निभाने की बड़ी बड़ी बाते करते है..यही तो है वो चार दिन,जब लोग कहते है.....तुझ बिन एक

दिन भी ना जी पाए गे..फिर भी लोग एक ही दिन बाद बदल जाते है...साथ जो इन चार दिनों की ज़िंदगी

मे ही छूट जाते है..बात करे फिर से चार दिनों की..कभी कभी यह दिन ताउम्र का प्यार-साथ भी तो बन

जाया करते है..अनंत-काल की यात्रा निभाने का सच्चा वादा कर,यह चार दिन ख़ुशी-ख़ुशी बीत जाया

करते है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...