ज़िंदगी चार दिन की ही तो होती है...कब से यही सुनते आए है..यह चार दिन कब कहां किस की किस्मत
पलट कर रख दे,कौन जाने...यह चार दिन,जहा लोग बदलने की कसमें खाते है..यह चार दिन,जब लोग
वादों को निभाने की बड़ी बड़ी बाते करते है..यही तो है वो चार दिन,जब लोग कहते है.....तुझ बिन एक
दिन भी ना जी पाए गे..फिर भी लोग एक ही दिन बाद बदल जाते है...साथ जो इन चार दिनों की ज़िंदगी
मे ही छूट जाते है..बात करे फिर से चार दिनों की..कभी कभी यह दिन ताउम्र का प्यार-साथ भी तो बन
जाया करते है..अनंत-काल की यात्रा निभाने का सच्चा वादा कर,यह चार दिन ख़ुशी-ख़ुशी बीत जाया
करते है....
पलट कर रख दे,कौन जाने...यह चार दिन,जहा लोग बदलने की कसमें खाते है..यह चार दिन,जब लोग
वादों को निभाने की बड़ी बड़ी बाते करते है..यही तो है वो चार दिन,जब लोग कहते है.....तुझ बिन एक
दिन भी ना जी पाए गे..फिर भी लोग एक ही दिन बाद बदल जाते है...साथ जो इन चार दिनों की ज़िंदगी
मे ही छूट जाते है..बात करे फिर से चार दिनों की..कभी कभी यह दिन ताउम्र का प्यार-साथ भी तो बन
जाया करते है..अनंत-काल की यात्रा निभाने का सच्चा वादा कर,यह चार दिन ख़ुशी-ख़ुशी बीत जाया
करते है....