Sunday 31 May 2020

कुछ यादें क्यों ज़िंदा रहती है...कुछ यादें क्यों बहुत कुछ याद दिलाती है...आज अल्मारी मे ढूंढ रहे थे

कुछ सामान कि हाथ मे आया हमारे वो टूटा हुआ कांच...वो कांच जिस की चुभन आज भी पांव मे बसती

है...वो कांच जो आज भी किसी याद को साथ बांधे है..एक उदासी को साथ लिए हम उसी याद पे खुद

ही मुस्कुरा दिए...वो कांच हमारे लिए किसी तोहफे से कम नहीं..वो कांच किसी अमानत से कम नहीं...

यह ज़िंदगी हम को खूबसूरत इसलिए भी लगती है कि यह कुछ यादों के साथ हमी को जोड़ कर रखती

है..गले से तुझे लगाया है ऐ ज़िंदगी,तू बहुत कुछ ले कर भी बहुत कुछ दे देती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...