कुछ यादें क्यों ज़िंदा रहती है...कुछ यादें क्यों बहुत कुछ याद दिलाती है...आज अल्मारी मे ढूंढ रहे थे
कुछ सामान कि हाथ मे आया हमारे वो टूटा हुआ कांच...वो कांच जिस की चुभन आज भी पांव मे बसती
है...वो कांच जो आज भी किसी याद को साथ बांधे है..एक उदासी को साथ लिए हम उसी याद पे खुद
ही मुस्कुरा दिए...वो कांच हमारे लिए किसी तोहफे से कम नहीं..वो कांच किसी अमानत से कम नहीं...
यह ज़िंदगी हम को खूबसूरत इसलिए भी लगती है कि यह कुछ यादों के साथ हमी को जोड़ कर रखती
है..गले से तुझे लगाया है ऐ ज़िंदगी,तू बहुत कुछ ले कर भी बहुत कुछ दे देती है...
कुछ सामान कि हाथ मे आया हमारे वो टूटा हुआ कांच...वो कांच जिस की चुभन आज भी पांव मे बसती
है...वो कांच जो आज भी किसी याद को साथ बांधे है..एक उदासी को साथ लिए हम उसी याद पे खुद
ही मुस्कुरा दिए...वो कांच हमारे लिए किसी तोहफे से कम नहीं..वो कांच किसी अमानत से कम नहीं...
यह ज़िंदगी हम को खूबसूरत इसलिए भी लगती है कि यह कुछ यादों के साथ हमी को जोड़ कर रखती
है..गले से तुझे लगाया है ऐ ज़िंदगी,तू बहुत कुछ ले कर भी बहुत कुछ दे देती है...