कैद मे रहना होता है कैसा,यह कभी परिंदो से ना जाना..खुद कैद हुए तो कैद होने का अर्थ जाना..किसी
को दर्द देना होता है कैसा,दर्द खुद को होगा तब जानो गे कि दर्द और इस की पीड़ा होती है कैसी..
यही तो इंसान है..जब-जब खुद को होती है तकलीफ,तभी तकलीफ की अहमियत समझ पाता है..यह
वक़्त है दोस्तों,किसी को कब क्या देने वाला है,कौन जाने..ना गुमान कर खुद की ताकत और सूरत पे..
एक लम्हा और परवरदिगार अपना कमाल दिखा देता है..इस कहर से भी अभी इंसान सब कुछ समझा
नहीं..सबक और मिलना बाकी है अभी....
को दर्द देना होता है कैसा,दर्द खुद को होगा तब जानो गे कि दर्द और इस की पीड़ा होती है कैसी..
यही तो इंसान है..जब-जब खुद को होती है तकलीफ,तभी तकलीफ की अहमियत समझ पाता है..यह
वक़्त है दोस्तों,किसी को कब क्या देने वाला है,कौन जाने..ना गुमान कर खुद की ताकत और सूरत पे..
एक लम्हा और परवरदिगार अपना कमाल दिखा देता है..इस कहर से भी अभी इंसान सब कुछ समझा
नहीं..सबक और मिलना बाकी है अभी....