हज़ारो जिस्म बदल रहे है मुर्दा लाशों मे..जिसे देखा था कल,उस को अब कभी नहीं देख पाए गे अब....
यह कैसा क़हर है,यह कैसा ज़हर है..जो निगल रहा है साँसों को..जितना डरता है इंसान मौत के खौफ
से,यह जब आती है तो साथ लिए बिना जाती नहीं..गुफ्तगू जिस से कर रहे थे कुछ रोज़ पहले,वो क्यों
मुझे अलविदा कह गया बिना बोले..ज़िंदगी की बस इतनी सी ही कहानी है,जब तक है इस को जीना है..
फिर क्या पता,मोहलत और कितनी मिलनी है..लिखते-लिखते मुस्कुरा दिए,प्यार तुझे करते रहे ज़िंदगी,
पर मौत कब कर ले मुझ से दोस्ती..यह पता तो तुझ को भी नहीं...
यह कैसा क़हर है,यह कैसा ज़हर है..जो निगल रहा है साँसों को..जितना डरता है इंसान मौत के खौफ
से,यह जब आती है तो साथ लिए बिना जाती नहीं..गुफ्तगू जिस से कर रहे थे कुछ रोज़ पहले,वो क्यों
मुझे अलविदा कह गया बिना बोले..ज़िंदगी की बस इतनी सी ही कहानी है,जब तक है इस को जीना है..
फिर क्या पता,मोहलत और कितनी मिलनी है..लिखते-लिखते मुस्कुरा दिए,प्यार तुझे करते रहे ज़िंदगी,
पर मौत कब कर ले मुझ से दोस्ती..यह पता तो तुझ को भी नहीं...