दिन भी वही है,शाम भी वैसी ही है..रात भी वही होगी...दिल को जो आज सकून है,उस के लिए
ईश्वर को शुक्राना देने इन्ही पन्नो पे उतर आए है..फूल तो आज भी खिले है रोज़ की तरह,कलियाँ
भी मुस्कुराई है पहले की तरह...पर हम को जो सकून उस मालिक ने दिया,उसी के कर्ज़दार बन कर
इन्ही पन्नो पे उतर आए है..ना भूले कभी उस की रहमतों को अनजाने मे,इसीलिए इन पन्नो पे
शुक़राने की मोहर लगाने आए है...
ईश्वर को शुक्राना देने इन्ही पन्नो पे उतर आए है..फूल तो आज भी खिले है रोज़ की तरह,कलियाँ
भी मुस्कुराई है पहले की तरह...पर हम को जो सकून उस मालिक ने दिया,उसी के कर्ज़दार बन कर
इन्ही पन्नो पे उतर आए है..ना भूले कभी उस की रहमतों को अनजाने मे,इसीलिए इन पन्नो पे
शुक़राने की मोहर लगाने आए है...