Saturday 1 June 2019

दिन भी वही है,शाम भी वैसी ही है..रात भी वही होगी...दिल को जो आज सकून है,उस के लिए

ईश्वर को शुक्राना देने इन्ही पन्नो पे उतर आए है..फूल तो आज भी खिले है रोज़ की तरह,कलियाँ

भी मुस्कुराई है पहले की तरह...पर हम को जो सकून उस मालिक ने दिया,उसी के कर्ज़दार बन कर

इन्ही पन्नो पे उतर आए है..ना भूले कभी उस की रहमतों को अनजाने मे,इसीलिए इन पन्नो पे

शुक़राने की मोहर लगाने आए है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...