इक धड़कन जब दूजे से मिली,कही दूर जैसे शहनाइयाँ बजने सी लगी..तार एक बंधा,पहला उस से
खुद ही खिंचा..मिलन की रात जरूर आए गी,खुदा ने हंस कर कहा..पाकीजगी है तेरे तारों मे,मन की
उलझन को मिटा..वक़्त मेहरबान हुआ करता है,जब दो सितारों का धरती पे आना लिखा होता है..
धीमे धीमे नज़दीकियों को बड़ा,शहनाइयों को तो आना ही है.. इंतज़ार को थोड़ा और बड़ा...
खुद ही खिंचा..मिलन की रात जरूर आए गी,खुदा ने हंस कर कहा..पाकीजगी है तेरे तारों मे,मन की
उलझन को मिटा..वक़्त मेहरबान हुआ करता है,जब दो सितारों का धरती पे आना लिखा होता है..
धीमे धीमे नज़दीकियों को बड़ा,शहनाइयों को तो आना ही है.. इंतज़ार को थोड़ा और बड़ा...