कोई पढ़ रहा था हमे रात रात भर जाग कर..नग्मे भी लिख रहा था,हम को अपना प्यार मान कर..
बेखबर इस से हम तो सो रहे थे नींद चैन की...कोई नज़र भी रखे है हम पे प्यार की,मस्त थे खुद
ही खुद की बात मे..नग्मे मिले,नग्मे सुने..असर तब भी ना था किसी बात का..हंस रहे थे खुदा की
खुदाई पे,कौन है जो इत्मीनान से पढ़ रहा है हमे इतनी तन्हाई मे..मुस्कुराए इतना कि आखिर वो
नग्मे हम को भा गए..तन्हाई मे अब हम है और वो सो रहे है इत्मीनान से...
बेखबर इस से हम तो सो रहे थे नींद चैन की...कोई नज़र भी रखे है हम पे प्यार की,मस्त थे खुद
ही खुद की बात मे..नग्मे मिले,नग्मे सुने..असर तब भी ना था किसी बात का..हंस रहे थे खुदा की
खुदाई पे,कौन है जो इत्मीनान से पढ़ रहा है हमे इतनी तन्हाई मे..मुस्कुराए इतना कि आखिर वो
नग्मे हम को भा गए..तन्हाई मे अब हम है और वो सो रहे है इत्मीनान से...