Tuesday 18 June 2019

कोई पढ़ रहा था हमे रात रात भर जाग कर..नग्मे भी लिख रहा था,हम को अपना प्यार मान कर..

बेखबर इस से हम तो सो रहे थे नींद चैन की...कोई नज़र भी रखे है हम पे प्यार की,मस्त थे खुद

ही खुद की बात मे..नग्मे मिले,नग्मे सुने..असर तब भी ना था किसी बात का..हंस रहे थे खुदा की

खुदाई पे,कौन है जो इत्मीनान से पढ़ रहा है हमे इतनी तन्हाई मे..मुस्कुराए इतना कि आखिर वो

नग्मे हम को भा गए..तन्हाई मे अब हम है और वो सो रहे है इत्मीनान से...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...