Wednesday 19 June 2019

धरती का नन्हा सा जर्रा हू..तेरे काबिल भी नहीं हू...आसमां का फरिश्ता है तू,तुझे आंख उठा कर देखू

इतना खुशनसीब भी नहीं हू..झुकता है जहां तेरे कदमो मे,हम बिछा रहे है दुआए तेरे जीवन मे..मासूम

है,बेवफा नहीं..दीवाने है पर गैर नहीं..कभी फुर्सत मिले तो झांक लेना इन आँखों मे,वफ़ा की पूरी किताब

लिखवा कर लाए है अपने परवरदिगार के घर-आंगन से..नस नस तो भरी है उलझनों के ताने-बानो

से,मगर लड़ जाए गे ज़माने से किसी भी आजमायश से... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...