लम्हा लम्हा..दिन बनते है..दिन दिन ही बन कर सालो मे ढलते है..कह रहा है हर लम्हा,खुद को खुद
से जुदा कर दे.. दिल को दिमाग से ही जुदा कर दे...कदमो को चलने दे उन्ही राहो पे,जो सकून की और
जाती है..नन्हे नन्हे हाथो को थाम,इक नई दिशा मे ढाल उन्हें...मुस्कुराने की वजह जो देते है,हाथ थाम
गले लग जाते है..उदासियों को पल भर मे मिटा देते है..परी-लोक की रानी बन कर,हम बेहद खुश हो
जाते है...
से जुदा कर दे.. दिल को दिमाग से ही जुदा कर दे...कदमो को चलने दे उन्ही राहो पे,जो सकून की और
जाती है..नन्हे नन्हे हाथो को थाम,इक नई दिशा मे ढाल उन्हें...मुस्कुराने की वजह जो देते है,हाथ थाम
गले लग जाते है..उदासियों को पल भर मे मिटा देते है..परी-लोक की रानी बन कर,हम बेहद खुश हो
जाते है...