धीमे धीमे तो कभी जोरों से,तेरे दिल के तार कभी तो बजते होंगे..इकरार कर या इंकार कर,तन्हाई मे
दो अश्क तो जरूर बहते होंगे..धड़कनो का हिसाब तो तेरे पास भी होगा,और मेरे पास तेरे लिखे हर
लफ्ज़ का ज़ज्बाते-बयां भी होगा..आज भी तेरे हर लफ्ज़ को सलाम करते है..शाम मुहब्बत की एक
हो या चार हो,वादे तो वही हुआ करते है...संभाल अपने दिल की धक् धक् को,हम तो यारा पाक
मुहब्बत को सलामी दिया करते है...
दो अश्क तो जरूर बहते होंगे..धड़कनो का हिसाब तो तेरे पास भी होगा,और मेरे पास तेरे लिखे हर
लफ्ज़ का ज़ज्बाते-बयां भी होगा..आज भी तेरे हर लफ्ज़ को सलाम करते है..शाम मुहब्बत की एक
हो या चार हो,वादे तो वही हुआ करते है...संभाल अपने दिल की धक् धक् को,हम तो यारा पाक
मुहब्बत को सलामी दिया करते है...