बटोर रहे है हर रोज़ जीवन की,छोटी छोटी खुशियाँ..जिन का ना वास्ता है सिक्को से,ना ज़माने के
रिवाज़ो से...पूरा कर रहे है दबी हसरतें,अरमानो को दे कर खुली हवा..हा..चुनौती भी दे रहे है खुद की
रूहे-आवाज़ को,ना डरना कि दिन तेरा आखिरी कौन सा होगा..यह कागज़ के पन्ने रहे गे गवाही
बन कर,कोई पाप नहीं किया ज़िंदा रह कर..बस कुछ सांसे अपनी मर्ज़ी से लेने का हक़,खुद को दिया
हम ने..कि घुटन से दम घुटने लगा था अब तो...
रिवाज़ो से...पूरा कर रहे है दबी हसरतें,अरमानो को दे कर खुली हवा..हा..चुनौती भी दे रहे है खुद की
रूहे-आवाज़ को,ना डरना कि दिन तेरा आखिरी कौन सा होगा..यह कागज़ के पन्ने रहे गे गवाही
बन कर,कोई पाप नहीं किया ज़िंदा रह कर..बस कुछ सांसे अपनी मर्ज़ी से लेने का हक़,खुद को दिया
हम ने..कि घुटन से दम घुटने लगा था अब तो...