झुकना तेरे आगे कोई गुलामी तो नहीं..हर बात को सर-आँखों पे लेना मजबूरी भी तो नहीं..दिल की
धडकनों ने समझाया इबादत जब की है,तो सज़दा करने मे क्या डरना..कोई इतना अपना है तो साथ
चलने से क्या डरना..प्यार पाने के लिए लोग ना जाने क्या क्या किया करते है..इबादत के लिए जब
चुना उन को,तो कदमो मे उन के झुक जाना कोई गुलामी तो नहीं...
धडकनों ने समझाया इबादत जब की है,तो सज़दा करने मे क्या डरना..कोई इतना अपना है तो साथ
चलने से क्या डरना..प्यार पाने के लिए लोग ना जाने क्या क्या किया करते है..इबादत के लिए जब
चुना उन को,तो कदमो मे उन के झुक जाना कोई गुलामी तो नहीं...