नाचीज़ समझ कर फिर हम को माफ़ कर दीजिए..औकात मे अपनी रहना सीख ले गे,बस एक बार
प्यार से हम को अपना लीजिए..कण कण मे बसा कर आप को,दुनिया को देख ही नहीं पाए..इस
दुनिया से क्या लेना क्या देना,जब रास्ते ही सारे पीछे छोड़ आए ..दीवानगी की हद कहां तक जाती
है,यह सुबह कब होती है कब रात दस्तक दे जाती है..बेखबर तो खुद से है,अब आप को क्या क्या बताए
प्यार से हम को अपना लीजिए..कण कण मे बसा कर आप को,दुनिया को देख ही नहीं पाए..इस
दुनिया से क्या लेना क्या देना,जब रास्ते ही सारे पीछे छोड़ आए ..दीवानगी की हद कहां तक जाती
है,यह सुबह कब होती है कब रात दस्तक दे जाती है..बेखबर तो खुद से है,अब आप को क्या क्या बताए