प्रेम शुद्ध है कितना,गहराई है इस मे कितनी.मासूम से दिखते कुछ चेहरे,सुनहरे सपनो की छाँव मे
ले जाने का वादा करते कुछ अपने..प्रेम से लबालब भरने का वो प्याला कहने वाले,आंच से दूर रखने
की दुहाई देने वाले...धयान से परखा,खोट है प्रेम की दुहाई मे..कोई यहाँ राधा नहीं,कृष्ण भला कहा
होगा..शुद्धता देने के लिए,सोने की तरह जलती आग मे तपना होगा...
ले जाने का वादा करते कुछ अपने..प्रेम से लबालब भरने का वो प्याला कहने वाले,आंच से दूर रखने
की दुहाई देने वाले...धयान से परखा,खोट है प्रेम की दुहाई मे..कोई यहाँ राधा नहीं,कृष्ण भला कहा
होगा..शुद्धता देने के लिए,सोने की तरह जलती आग मे तपना होगा...