शहनाई बजी भी नहीं और बारात आ गई..नगाड़े नहीं बजे फिर क्यों रौनक छा गई...हल्दी नहीं लगी
हाथो मे, पर चेहरे पे तेरे नाम की चमक आ गई..बिना तुझे देखे,आसमां से फ़रिश्तो की दुआ खुद ही
आ गई ..यह कौन सी रस्मे है,जो यह पगली तेरे बिना निभा गई..सदियों तक साथ निभाने का वादा
कर के,तेरी दुल्हन इस जन्म मे अकेले क्यों रह गई..
हाथो मे, पर चेहरे पे तेरे नाम की चमक आ गई..बिना तुझे देखे,आसमां से फ़रिश्तो की दुआ खुद ही
आ गई ..यह कौन सी रस्मे है,जो यह पगली तेरे बिना निभा गई..सदियों तक साथ निभाने का वादा
कर के,तेरी दुल्हन इस जन्म मे अकेले क्यों रह गई..