Sunday, 16 June 2019

वो अक्सर पूछते है हम से,प्यार कैसा होता है..क्या यह प्यार,एक शख्स को बदल भी देता है..सुना तो

बहुत है,पर सच है क्या बता सकते हो..''जो रस-बस जाए मेहबूब की राहो मे,जो ढाल दे सुरो को बेजान

मुहब्बत मे,जो दे मेहबूब को इतना सकून कि ज़न्नत की राह भी वो भूल जाए..उस के दुखो को अपने

नायाब रिश्ते से गायब कर दे..जो अपने हर कदम को,मेहबूब के साथ साथ रख के चले..बिखरने से

पहले ही उस को थाम ले बाहो मे अपनी'''प्यार की परिभाषा बहुत लम्बी है,तुम मेरे साथ चलो,चलते

जाओ..प्यार की ज़न्नत तो बस ऐसी ही होती है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...