बातो मे बात चली,तो वफ़ा का नाम भी आया...ना जाने कितनो को होती है यह मुहब्बत,और कितनो
को इस का अर्थ समझ मे आया...किसी ने किसी को दौलत और तोहफों से नवाज़ा, तो यह एहसास
उस को मन से भाया..कभी कोई तारीफो के पुल बांधने पे आया,तो साथी को वो प्यार का मोल नज़र
आया...वफ़ा के नाम पे अक्सर धोखे ही हुआ करते है,यहाँ कौन किसी के जज्बात और सच्ची वफ़ा को
सच मे समझ पाया...
को इस का अर्थ समझ मे आया...किसी ने किसी को दौलत और तोहफों से नवाज़ा, तो यह एहसास
उस को मन से भाया..कभी कोई तारीफो के पुल बांधने पे आया,तो साथी को वो प्यार का मोल नज़र
आया...वफ़ा के नाम पे अक्सर धोखे ही हुआ करते है,यहाँ कौन किसी के जज्बात और सच्ची वफ़ा को
सच मे समझ पाया...