ना पूछ मुझ से,मेरी रज़ा क्या है--खता की है तो रज़ा का सिला क्या है--झिलमिल कर रही है यह पलके-
कजरारे नैना बहक रहे है खुद के ही सागर मे--नींद से तुझे जगाए कैसे,बस पायल को खनका देते है
धीमे से--परिंदे भी चहक रहे है,देख कर मेरे भीगे आंचल को--खुश है बहुत यह बेज़ुबान भी,सुन के इस
पायल की रुनझुन को--तू ही ना समझे इन नैनो की भाषा को--तभी तो कहते है ना पूछ कि मेरी रज़ा
क्या है--
कजरारे नैना बहक रहे है खुद के ही सागर मे--नींद से तुझे जगाए कैसे,बस पायल को खनका देते है
धीमे से--परिंदे भी चहक रहे है,देख कर मेरे भीगे आंचल को--खुश है बहुत यह बेज़ुबान भी,सुन के इस
पायल की रुनझुन को--तू ही ना समझे इन नैनो की भाषा को--तभी तो कहते है ना पूछ कि मेरी रज़ा
क्या है--