Wednesday 19 June 2019

ना पूछ मुझ से,मेरी रज़ा क्या है--खता की है तो रज़ा का सिला क्या है--झिलमिल कर रही है यह पलके-

कजरारे नैना बहक रहे है खुद के ही सागर मे--नींद से तुझे जगाए कैसे,बस पायल को खनका देते है

धीमे से--परिंदे भी चहक रहे है,देख कर मेरे भीगे आंचल को--खुश है बहुत यह बेज़ुबान भी,सुन के इस

पायल की रुनझुन को--तू ही ना समझे इन नैनो की भाषा को--तभी तो कहते है ना पूछ कि मेरी रज़ा

क्या है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...