Sunday 2 June 2019

साज़िशों की दुनिया,रिश्तो का धोखा और रोज़ बदलते साथी..मुहब्बत के नाम पे वफाओ को झुलसाती

नफरतो की कहानी..अक्स किस को किस मे नज़र आया,दीवानो की तरह मुहब्बत कौन कर पाया...

तू समा जा मुझ मे,मैं तेरी रज़ा बन जाऊ..फासला भले मीलो का हो,मगर दूरी मुहब्बत को नज़र ना

आए..टूट के यहाँ कौन किस के प्यार को निभाता है,दौलत पाने के लिए जज्बी-मुहब्बत से कोसो दूर

हो जाता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...