Saturday 29 June 2019

आज फिर दिमाग की सोच पे अभिमान हो आया..और दिल..इस की बातो मे बह कर,कल इस ने हम

को खूब रुलाया..उम्मीदों को ले कर यह क्यों तन्हा हो जाता है..समझने को राज़ी ही नहीं,कि यहाँ तेरा

कोई हमसाया ही नहीं रहता..जो तुझ को दिखा,वो सिर्फ नज़र का धोखा है..वो तेरा है ही नहीं,जिस के

लिए तू ज़ार ज़ार रोता है..मुबारक दे उस को,उस के खुशनुमा जहान के लिए..और तू लौट जा फिर से

अपने तन्हाई के तहखाने मे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...