आज फिर दिमाग की सोच पे अभिमान हो आया..और दिल..इस की बातो मे बह कर,कल इस ने हम
को खूब रुलाया..उम्मीदों को ले कर यह क्यों तन्हा हो जाता है..समझने को राज़ी ही नहीं,कि यहाँ तेरा
कोई हमसाया ही नहीं रहता..जो तुझ को दिखा,वो सिर्फ नज़र का धोखा है..वो तेरा है ही नहीं,जिस के
लिए तू ज़ार ज़ार रोता है..मुबारक दे उस को,उस के खुशनुमा जहान के लिए..और तू लौट जा फिर से
अपने तन्हाई के तहखाने मे..
को खूब रुलाया..उम्मीदों को ले कर यह क्यों तन्हा हो जाता है..समझने को राज़ी ही नहीं,कि यहाँ तेरा
कोई हमसाया ही नहीं रहता..जो तुझ को दिखा,वो सिर्फ नज़र का धोखा है..वो तेरा है ही नहीं,जिस के
लिए तू ज़ार ज़ार रोता है..मुबारक दे उस को,उस के खुशनुमा जहान के लिए..और तू लौट जा फिर से
अपने तन्हाई के तहखाने मे..