Thursday, 27 June 2019

धुंध की चादर मे लिपट गए है...वज़ूद अपने को समेटे उसी की नज़र हो गए है..आगे कोहरा है बहुत

गहरा,क्या होगा यह देख भी नहीं पा रहे है..चाल अभी मद्धम मद्धम है,मगर इरादे बहुत मुकम्मल

है...मोहलत साँसे दे गी जब तक,कोहरे मे रह कर ही ले पाए गे..फिर धुंध हमारी अपनी है,उसी की

चादर मे लिपट कर सदा के लिए खो जाए गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...