धुंध की चादर मे लिपट गए है...वज़ूद अपने को समेटे उसी की नज़र हो गए है..आगे कोहरा है बहुत
गहरा,क्या होगा यह देख भी नहीं पा रहे है..चाल अभी मद्धम मद्धम है,मगर इरादे बहुत मुकम्मल
है...मोहलत साँसे दे गी जब तक,कोहरे मे रह कर ही ले पाए गे..फिर धुंध हमारी अपनी है,उसी की
चादर मे लिपट कर सदा के लिए खो जाए गे...
गहरा,क्या होगा यह देख भी नहीं पा रहे है..चाल अभी मद्धम मद्धम है,मगर इरादे बहुत मुकम्मल
है...मोहलत साँसे दे गी जब तक,कोहरे मे रह कर ही ले पाए गे..फिर धुंध हमारी अपनी है,उसी की
चादर मे लिपट कर सदा के लिए खो जाए गे...