Wednesday 26 June 2019

गर्दिश मे सितारे हमारे थे और वह साथ किसी और के चल दिए...जिस के लिए मन्नते मांगी,वह तो

अमीरी की राह पे चल दिए..टूटना तो लाज़मी था,टूटन को छुपाना भी वाजिब था..खिलखिलाहट देख

कर हमारी,ज़िंदा कितना जहान था...खुद की टूटन दे रही थे कितनो को नई ज़िंदगी..मुस्कराहट से

खिल रही थी कोपलें बेहद प्यार से,फूल खिलते रहे हमारे रोज़ आने की इंतज़ार मे..क्यों बताते बुझ

गया अंदर से कुछ,जब की दीपक जल रहे थे हमारी इक मुस्कराहट से..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...