Friday 14 June 2019

लौटना--और लौट के फिर नए आगाज़ से चलना...महकना है मगर खुद को पीछे छोड़ देना..उलझनों

को समझना मगर अपनी उलझने छुपा लेना..आंसुओ को सिरे से विदा करना,खुद को ही बदल लेना..

चाहतों को फिर पुराने बक्से मे संभाल कर रख देना,बिंदास जीना और बेखौफ हो कर दुनिया को

खुशियाँ देना...खुद से खुद को पराया कर देना,मगर ज़माने को प्यारी सी मुस्कराहट देना....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...