Sunday 16 June 2019

दुआ लेने के लिए किसी ने मंदिर ढूंढा..कभी मस्जिद की और तो कभी वाहेगुरु को ढूंढा..झुक झुक के

सलाम करते रहे हर दरबार मे...आंसू भी निकल आए अपने दुखो के बोझ से..कभी दौलत के लिए,कभी

रुतबे के लिए तो कभी किसी से होड़ मे आगे निकलने के लिए..काश,मंदिर के आगे भी उस भगवान् के

रूप को देखा होता..जो कर रहे थे नमन आप को,रोटी के टुकड़े के लिए ..बड़ी गाड़ी से बड़ी भूख थी जिन

 की ..और आप तो बस मस्त थे,अपने भगवान् को याद करने मे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...