Wednesday 5 June 2019

बगीचों के माली अक्सर लोग बदल लिया करते है...फूल हमेशा खिले रहे,लोग तो अमूमन खाद ही

बदल दिया करते है..ओस की बूंदे गिरती रहती है,इन की खुशगवारी के लिए...और यह भी महकते

रहते है हज़ारो हसरतो के तले...सच तो यही है,बहकावे मे फूलो के आ कर माली ज़ार ज़ार रोया करता

है...जिसे सींचा रूह की शिद्दत से,वो क्यों माली को मलबे मे धकेल दिया करता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...