बगीचों के माली अक्सर लोग बदल लिया करते है...फूल हमेशा खिले रहे,लोग तो अमूमन खाद ही
बदल दिया करते है..ओस की बूंदे गिरती रहती है,इन की खुशगवारी के लिए...और यह भी महकते
रहते है हज़ारो हसरतो के तले...सच तो यही है,बहकावे मे फूलो के आ कर माली ज़ार ज़ार रोया करता
है...जिसे सींचा रूह की शिद्दत से,वो क्यों माली को मलबे मे धकेल दिया करता है...
बदल दिया करते है..ओस की बूंदे गिरती रहती है,इन की खुशगवारी के लिए...और यह भी महकते
रहते है हज़ारो हसरतो के तले...सच तो यही है,बहकावे मे फूलो के आ कर माली ज़ार ज़ार रोया करता
है...जिसे सींचा रूह की शिद्दत से,वो क्यों माली को मलबे मे धकेल दिया करता है...